Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2018 · 1 min read

सृजन

चलो बनाये नव संसार, समय सृजन का आया है !
आओ करे राष्ट्र निर्माण, समय सृजन का आया है !!

छाया है चंहुओर अंधेरा, तारो बिन सुना गगन है
जहरीली अब हुई हवाएँ, ठण्ड मे लगती अगन है
झूठ है धोखा भी है, इंसानियत गुम है कही
हर बन्दा हे स्वार्थी, लोभ मे रहता मगन हे

घुटन सी होती है हरदम, इसलिये ये अलख जगाया है
चलो बनाये नव संसार समय सृजन का आया है

दया नही है हर ह्रदय, उजड़े चमन जेसा हुआ है
स्नेह से अपनत्व से, संवेदना से अनछुआ है
धन वैभव आराम बड़ा है, आधुनिक हम हो गये
तरक्की तो बहुत हुई, पर रिश्ते नाते खो गये

स्वर्ग से सुंदर थी धरती, अब इसको नर्क बनाया है
चलो बनाये नव…………

छोड़ के सारे दुर्व्यसनो को, सभी सदाचारी बने
आगे गर बड़ना हे तो, पहले अपना लक्ष्य चुने
संस्कार ओर संस्कृति ओर अनुशासन न भूले हम
कर्तव्य पथ पर बड़ते हुए, आसमां को छूले हम

स्वर्ग बनाना है धरती को, इसलिये ही ये जीवन पाया है
चलो बनाये नव………..

Language: Hindi
191 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
-- मुंह पर टीका करना --
-- मुंह पर टीका करना --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
Rashmi Sanjay
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
मनोज कर्ण
■ परिहास...
■ परिहास...
*Author प्रणय प्रभात*
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
आम आदमी की दास्ताँ
आम आदमी की दास्ताँ
Dr. Man Mohan Krishna
भ्रात-बन्धु-स्त्री सभी,
भ्रात-बन्धु-स्त्री सभी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
*नन्हीं सी गौरिया*
*नन्हीं सी गौरिया*
Shashi kala vyas
बात ! कुछ ऐसी हुई
बात ! कुछ ऐसी हुई
अशोक शर्मा 'कटेठिया'
बिंदी
बिंदी
Satish Srijan
गीत
गीत
Kanchan Khanna
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
पूर्वार्थ
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
लेखनी
लेखनी
Prakash Chandra
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
साँसों का संग्राम है, उसमें लाखों रंग।
साँसों का संग्राम है, उसमें लाखों रंग।
Suryakant Dwivedi
'व्यथित मानवता'
'व्यथित मानवता'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
माँ-बाप
माँ-बाप
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
💐प्रेम कौतुक-470💐
💐प्रेम कौतुक-470💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हिसाब-किताब / मुसाफ़िर बैठा
हिसाब-किताब / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
हर ज़ख्म हमने पाया गुलाब के जैसा,
हर ज़ख्म हमने पाया गुलाब के जैसा,
लवकुश यादव "अज़ल"
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
हकीकत पर एक नजर
हकीकत पर एक नजर
पूनम झा 'प्रथमा'
लोकशैली में तेवरी
लोकशैली में तेवरी
कवि रमेशराज
क्या मेरा
क्या मेरा
Dr fauzia Naseem shad
* मुस्कुराने का समय *
* मुस्कुराने का समय *
surenderpal vaidya
Loading...