सृजन
टूटने से क्यों कर डरना
छूटने का भय क्यों करना
अंत ही तो आरंभ का प्रमाण है
टूट टूट बिखर क्यों मरना
टूट कर मिलता नव जीवन
होता है सुंदर सा सृजन
टूटो ज्यों है बूँद टूटती
बादल की बाहों से छूटती
कर पोर पोर धरा सराबोर
खेतिहर की दुआएँ लूटती
खनकी गेहूं की बाली ख़न खन
होता है सुंदर सा सृजन
जब भी कोई बीज टूटता
चीर धरा अंकुर वो फूटता
मिट्टी के नीचे जो टूटा फूटा
बन विटप विशाल व्योम चूमता
डोल रहे तरु कानन कानन
होता है सुंदर सा सृजन
टूटी जो गर्भ नाल की डोरी
अलग हो गई माँ से छोरी
रची गई फिर नई कहानी
चंदा मामा दूध कटोरी
शिशु का भू पर आगमन
होता है सुंदर सा सृजन
पत्ता जो टूटा डाल से
नव किसलय फूटे छाल से
अंबर से तारा जो टूटा
भाग्य चमक उठा भाल से
निश्चित नूतन का अनुगमन
होता है सुंदर सा सृजन
रेखांकन।रेखा
३०.१२.२३