सृजन चेतना
जब तक खुली आंखों से पढ़ने न लगो
तुम अपनी ज़िंदगी की किताब को!
जब तक बेख़ौफ़ होकर कहने न लगो
तुम अपने ज़मीर की आवाज़ को!!
तब तक तुम्हारे शायर होने का हर दावा
खोखला और बेबुनियाद है,दोस्त!
जब तक एक साथ ही साधने न लगो
तुम मोहब्बत और इंकलाब को!!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#सृजनचेतना
#RomanticRebel
#VidrohiKavi