सूर्य चालीसा
हे ! सबके सूर्य भगवान,
तुमको करते सब प्रणाम।
सारे जग में है तेज तुम्हारा,
तुम बिन न होय उजियारा।।
प्रातः होते ही शीश झुकावे,
लोटा लेकर तुम्हे जल चढ़ावे।
तुमसे ज्यादा न कोई शक्तिशाली,
तुम ही करते हो सबकी रखवाली।
महर्षि कश्यप के पुत्र कहलाते,
छाया संध्या के तुम पति कहलाते।
तुम्हारे अनेकों है जग में नाम,
रवि,दिनकर,भास्कर तुम्हारे नाम।
शनिदेव के तुम पिता कहलाते,
उन पर तेल तिल सब चढ़ाते।
सभी ग्रहों में सबसे बड़े होते,
सारे ग्रह तुम्हारे चक्कर लगाते।।
तुम बिन जग में वर्षा न होवे,
तुम बिन जग में अन्न न होवे।
तुम्हारे निकट कोई न आवे,
आते ही वह भस्म हो जावे।
तुम्हारी प्रार्थना से पुत्र हो जावे,
जैसे कुन्ती के कर्ण पुत्र हो जावे।
जो तुम्हारा नित चालीसा गावे,
कभी भी कोई दुःख न पावे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम