Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 1 min read

सूर्य ग्रहण

सृजनहार की उस रचना में, कालचक्र की उस घटना में,
अतुलनीय सौंदर्य देखकर, निर्झर सी अबाध वाणी,
कुछ यूं रीझी, अवरुद्ध हो गई,
जीवन की शक्ति का उद्गम प्रतिपल क्षीण, क्षीणतर होता था,
पल -पल क्षय होती थी काया, अंधकार की बढ़ती छाया,
सबके मन थे डरे -डरे से, अनजाने भय से सहमे से,
जड़ चेतन निस्तब्ध खड़े थे, निष्कंपित,निस्पंदित से थे,
बर्फ़ीली ठंडी चादर की गहराती सुरमयी परतों में ,जाने कितने भेद छुपे थे,
एक अलौकिक तेजपुंज ने तब ही प्राणसुधा छलका कर,
जीवन का संचार किया,
लगी पिघलने मौन वेदना, स्पंदन फ़िर क्रमशः लौटा,
अंधकार की बढ़ती छाया, उस दैवी उजास के आगे,
यूं सिमटी, अदृश्य हो गयी।
आदि शक्ति के प्रखर तेज ने, एक बार फ़िर सिद्ध कर दिया,
सच के प्रखर सूर्य के आगे, भ्रम का अंधकार भंगुर है,
छाया कितनी ही बढ़ जाए, कितनी ही गहरी हो जाए,
उसे पराजित कर सकती है,
ज्योतिपुंज की एक किरण भी।

Language: Hindi
1 Like · 186 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Anjali Singh
View all
You may also like:
रमेशराज के दो लोकगीत –
रमेशराज के दो लोकगीत –
कवि रमेशराज
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम तो ख़ामोशियां
तुम तो ख़ामोशियां
Dr fauzia Naseem shad
4459.*पूर्णिका*
4459.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
Atul "Krishn"
दीप ज्योति जलती है जग उजियारा करती है
दीप ज्योति जलती है जग उजियारा करती है
Umender kumar
मेरा होकर मिलो
मेरा होकर मिलो
Mahetaru madhukar
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Why always me!
Why always me!
Bidyadhar Mantry
मन  के  दरवाजे पर  दस्तक  देकर  चला  गया।
मन के दरवाजे पर दस्तक देकर चला गया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शादाब रखेंगे
शादाब रखेंगे
Neelam Sharma
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
*मोलभाव से बाजारूपन, रिश्तों में भी आया है (हिंदी गजल)*
*मोलभाव से बाजारूपन, रिश्तों में भी आया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
" मुझे नहीं पता क्या कहूं "
Dr Meenu Poonia
जीवन में कोई मुकाम हासिल न कर सके,
जीवन में कोई मुकाम हासिल न कर सके,
Ajit Kumar "Karn"
वो मुझे
वो मुझे "चिराग़" की ख़ैरात" दे रहा है
Dr Tabassum Jahan
लफ्जों के सिवा।
लफ्जों के सिवा।
Taj Mohammad
दूरी और प्रेम
दूरी और प्रेम
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
Rajesh vyas
Unrequited
Unrequited
Vedha Singh
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुझे अच्छी लगती
मुझे अच्छी लगती
Seema gupta,Alwar
मातृत्व
मातृत्व
साहित्य गौरव
इत्तिहाद
इत्तिहाद
Shyam Sundar Subramanian
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
इक उम्र चुरा लेते हैं हम ज़िंदगी जीते हुए,
इक उम्र चुरा लेते हैं हम ज़िंदगी जीते हुए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...