सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।
सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।
मध्य सुख-दुख के हर दिन पले जिंदगी ।
आह है, मौन है, शोर है, भीड़ है –
जाने कितने रँगों में ढले जिंदगी ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०
सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।
मध्य सुख-दुख के हर दिन पले जिंदगी ।
आह है, मौन है, शोर है, भीड़ है –
जाने कितने रँगों में ढले जिंदगी ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०