सूर्य और पवन : 15 दोहे
** सूर्य और पवन की कथा: 15 दोहे **
// दिनेश एल० “जैहिंद”
बात चली जब ग्रीष्म की आई किस्सा याद ।
अब तो लिखने मैं चला ..कुछ दोहे नाबाद ।।
है कथा वायु सूर्य की ……गाऊँ यारों आज ।
बिन बात एक दिन भिड़े दो बली महाराज ।।
लड़ने को तो लड़ पड़े न था परिणाम ज्ञात ।
आजमाए सूर्य हवा …फिर अपनी औक़ात ।।
दोनों में बाज़ी लगी शुरू हुआ निज काज ।
है बलवान कौन यहाँ …करो फैसला आज ।।
रास्ते चलते पथिक को लिये दोनों निशान ।
उतरवाए कमीज जो ….होगा वो बलवान ।।
बारी पवन की पहली लगा बहन को तेज ।
फूलने लगा दम्भ में …..समूची शक्ति भेज ।।
पौधे सारे हिल गये …….लाया ऐसा शोर ।
देख हैरान पथिक भी हुआ बड़ा कमजोर ।।
जब चलती आँधी-हवा कमीज लेता खींच ।
संभलाता वो खुद को ..अपनी आँखें मींच ।।
थका पवन शक्ति बल से करके कई उपाय ।
मिली नहीं तब सफलता वायु गयी शरमाय ।।
अबकी बारी सूर्य की, दिया ज्वाला बढ़ाय ।
देख बटोही तपन को गया तनिक घबराय ।।
बढ़ी गर्मी जब रवि की पथिक हुआ असहाय ।
झुलस सूर्य के आग से गया पथिक चकराय ।।
पड़ने लगी कड़क धूप ……हुआ बड़ा बेचैन ।
छाँव तले भी पेड़ के नहीं मिली फिर चैन ।।
हुआ बेचैन पथिक भी निज कमीज दी खोल ।
जीत हुई दिवाकर की खुली वायु की पोल ।।
मुँह लटकायी अब हवा सूर्य देव मुस्काय ।
फिर सूरज की जीत पे वायु अब पश्चताय ।।
बचो ग्रीष्म के कहर से लो उपाय सब खोज ।
एसी, कूलर, फैन लो …… और नहाओ रोज ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
07. 04. 2018