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5 Jan 2017 · 1 min read

सूर्य उगाएँ

आओ मिलकर नए साल का सूर्य उगाएँ

दुश्चक्रों में फँसी रोशनी कैसे निकले
मन में इतनी बर्फ जमी है कैसे पिघले
तारीखों को दिए बचन हम भूल न जाएँ

बाँट रही जो घर को
वह दीवार ढहा दें
रुकी हुई गंगा की धारा
पुन: बहा दें
थकी हुई बूढ़ी आँखों को
नहीं रुलाएँ

खूँटी पर जो टँगा कलेंडर
अब तो बदलो
सुबह नई तो सोच नई हो
मन को बदलो
धर्म जाति से ऊपर उठकर
हाथ मिलाएँ
आओ मिलकर नए साल का
सूर्य उगाएँ।।

Language: Hindi
Tag: गीत
430 Views
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