*”सूर्योदय”*
“सूर्योदय ”
वो हरी भरी वादियां ऊंचे टीले पहाड़ियों पर,
उड़ते हुए परिंदों का झुंड दिखाई देता।
बहुमंजिला इमारतों में मजदूरी करते हुए वो गरीब इंसान ,
नीला आसमान उगते सूर्य के साथ में नई दिशा नवीन ऊर्जा से भर देता।
प्रकृति की निराली छटाओं को निहारते हुए,
ताजी हवाओं से सकारात्मक सोच जीवन सरोबार करता।
सूर्योदय से सांझ ढले तक समय दस्तक देती,
जीवन चक्र शास्वत सत्य की अग्रसर कर देता।
अंतर्मन सदविचारों से आत्मीयता भर देती,
कर्म बंधन में बांधे हुए सफल जीवन की ओर आकर्षित करती।
सूर्योदय की पहली किरणों से उजियाला फैलता,
नई उमंगों के साथ में एक दूसरे का साथ जीवन में जोश से भर देता।
जय श्री कृष्णा राधेय राधेय
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