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25 Jan 2019 · 1 min read

सूरज

छीन लो गम के बादल
रूह में कायम गर्मी
थका हारा है सूरज
मयस्सर नही है सुकूँ
जज्बात उसके गुम है
चक्कर लगाते है दर्द
परेशान है धड़कन
खोने को सोचता है
उठ जाता हर सुबह
दर्द और तन्हाई में
तपता रहता है
शांत सा जलता
ज़माने को रोशन
वो ही तो करता है।।

✍️आकिब जावेद

Language: Hindi
2 Likes · 213 Views
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