सूरज
दिवाकर क्रोधाग्नि बढ़ी, जलें नगर घर गाँव।
जल जलकर प्यासा हुआ,माँग रहें तरु छाँव।।
धूप बहुत सुन बढ़ रही,सब प्राणी बेहाल।
ग्लोबल वार्मिंग से हुआ, साँस लेना मुहाल।।
विटामिन डी खूब लिया,हे रवि कम कर धूप।
सनस्क्रीन क्रीम ना चली,सुरूप हुआ कुरूप।।
भानु करे दादागिरी, जमाए सबपर धौंस।
जीव जंतु ढूंढा बहुत, न वारि सौ सौ कोस।।
नीलम प्यासे जीव को,अन्न जल देना रोज़।
विकल बुझाकर प्यास सुन,देंगे तुमको ओज।।
नीलम शर्मा