Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

सूरज बन सकता है

यहीं शाश्वत सत्य, भला कब
हीरा खुद को जाने ।
उसकी प्रतिभा केवल उसका,
धारक ही पहचाने ।

तुलसी सूर कबीर जन्म से,
कवि तो नहीं हुए थे ।
किन्तु समय के साथ काव्य में,
ऊँचे शिखर छुए थे ।

तुलना नहीं किसी की जग में,
कोई कर सकता है ।
सूरज तो इस अखिल विश्व मे,
सूरज ही रहता है ।

किन्तु आचरण भी उपमाओं,
का कारण बनता है ।
जो जग को रौशन कर दे वह,
सूरज बन सकता है ।।
राहुल द्विवेदी ‘स्मित’

Language: Hindi
81 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दवाखाना  से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
दवाखाना से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"तर्के-राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
VINOD CHAUHAN
*दिल दरिया बहुत अमीर है*
*दिल दरिया बहुत अमीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पिता दिवस
पिता दिवस
Neeraj Agarwal
अरे योगी तूने क्या किया ?
अरे योगी तूने क्या किया ?
Mukta Rashmi
When conversations occur through quiet eyes,
When conversations occur through quiet eyes,
पूर्वार्थ
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
Neelam Sharma
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
बुंदेली चौकड़िया
बुंदेली चौकड़िया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
🥀*गुरु चरणों की धूलि*🥀
🥀*गुरु चरणों की धूलि*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
शेखर सिंह
"युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वो भी बड़े अभागे होंगे या तो प्र
Urmil Suman(श्री)
स्वीकारा है
स्वीकारा है
Dr. Mulla Adam Ali
हम क्यूं लिखें
हम क्यूं लिखें
Lovi Mishra
जीवन
जीवन
sushil sarna
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कभी ख्यालों में मुझे तू सोचना अच्छा लगे अगर ।
कभी ख्यालों में मुझे तू सोचना अच्छा लगे अगर ।
Phool gufran
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
Ravi Betulwala
*बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)*
*बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
स्त्री की स्वतंत्रता
स्त्री की स्वतंत्रता
Sunil Maheshwari
खुशियों की सौगात
खुशियों की सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
"तरबूज"
Dr. Kishan tandon kranti
#सत्यकथा
#सत्यकथा
*प्रणय*
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
इशरत हिदायत ख़ान
हम अकेले अनमने से हो गये.....!!
हम अकेले अनमने से हो गये.....!!
पंकज परिंदा
Loading...