सूरज की दादागिरी
सूरज की दादागिरी, कब तक झेलें यारI
न्योता भेजो मेघ को, बरसा जायें प्यार II
बरसा जायें प्यार, तृप्त तन मन को कर दें
नदियाँ पोखर ताल, सभी को जल से भर दें
धरा रही है सूख, जरूरत है अब जल की
देंगे मेघ निकाल, हेकड़ी सब सूरज की I
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद I