~~~ सूनी राहें..जिन्दगी की ~~~
चलता चला जा रहा हूँ,
इन राहों पर
खुद को धकलते हुए
बोझ खुदा अपने
कांधे पर लादे हए
न जाने कितने
ख्वाब , ना जाने
कितनी ख्वाईशें
इस मन में
समेटे हुए
जिन्दगी की कशमकश
जिस को मिलता नहीं
वो रास्ता , इन
भटकी हुयी राहों से
कि, निकल आये यहाँ से
उन सूनी सी राहों में
जहाँ ना
कोई साथ हो, न
सपने और ना
किसी की चाहते
बस गुजर जाऊं वहां से
उन सूनी सी राहों की
तलाश में,
खुद को समेट कर
खुद में समां जाऊं
और लुप्त हो
जाऊं, उस खुदा के रास्ते
इन सूनी से राहों से
गुजरते हुए !!!!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ