सूझबूझ:- एक डॉक्टर की
इस चुनाव के गरमा गरम माहौल में सभी नेता गण अपने अपने कार्यकर्ताओं के साथ जनता को लुभाने में लगे हैं और दिन रात मेहनत कर रहे हैं क्यों कि उन्हें पता है की यही मेहनत उन्हें अगले पांच साल तक ऐशोआराम करवाएगी।
नेताजी जयचंद सिंह भी अपने दल बल के साथ दिन रात लगे हुए थे, कभी इस शहर में कभी उस शहर में रैली, भाषण, रोड शो करने में। ना खाने की चिंता, ना नहाने की बस वो किसी भी तरह से चुनाव जीतना चाहते थे। पिछली बार जब जीते थे तो मुंह भी नहीं दिखाई थी जनता को सीधे वोट ही मांगने आए थे। दहाड़े मार कर चरणों में गिर पड़ते की वोट दे दो अबकी बार जनता का काम करूंगा।
एक दिन प्रचार के दौरान अचानक नेताजी का एक्सिडेंट हो गया, फिर क्या था कार्यकर्ता लोग फौरन उन्हें लेकर नजदीक के एक निजी अस्पताल में लेकर गए और जल्दी इलाज करने के लिए हंगामा करने लगे। डॉक्टर एक इंपॉर्टेंट ऑपरेशन में लगे थे तो उन्हें शांत रहने को कहा पर भीड़ कहां मानने वाली थी। वो उग्र हो गई और तोड़फोड़ पर उतर आई। दूसरे रोगियों को भी परेशान करने लगी। मामला हाथ से निकलता देख डॉक्टर ने कहा कि मै देखता हूं और नेताजी को लेकर आईसीयू में चले गए। बाहर आते ही जोर से बोले – नेताजी को खून की जरूरत है और यहां पर खून उपलब्ध नहीं है जल्दी से इंतजाम नहीं होता तो इनकी हालत बिगड़ सकती है। प्लीज जल्दी करें फिर क्या था कार्यकर्ता लोग एक ब्लड बैंक से उस ब्लड बैंक का चक्कर लगाने लगे और डॉक्टर साहब आराम से अपने इंपॉर्टेंट ऑपरेशन में जुट गए।
जब तक लोग ब्लड लेकर आते तब तक नेताजी का इलाज भी हो चुका था।
……समाप्त…..
…………राणा………..