सूखी लकड़ियों में, वो बात कहाँ ।
सूखी लकड़ियों में, वो बात कहाँ ।
पत्तों को हिला कर, आग भड़का दे।
पत्तों के जुदा होते, जड जुदा होना पड़ता है।
अब तो तपन लाने को, खुद जलना पड़ता हैं।
श्याम सांवरा…
सूखी लकड़ियों में, वो बात कहाँ ।
पत्तों को हिला कर, आग भड़का दे।
पत्तों के जुदा होते, जड जुदा होना पड़ता है।
अब तो तपन लाने को, खुद जलना पड़ता हैं।
श्याम सांवरा…