सूक्तियाँ
अज्ञान मनुष्य का प्रथम शत्रु है ,
जिज्ञासा संकट निवारक सहायक मित्र है ,
भय एक नकारात्मक काल्पनिक मनोदशा है ,
आत्मविश्वास साहस एवं शौर्य का जनक है ,
अतीत सदैव दुःखप्रद है , भविष्य
काल्पनिक अनिश्चित है ,
वर्तमान व्यावहारिक यथार्थ की अनुभूति है ,
अहं आत्म-बोधविहीन आत्मवंचना है ,
आत्ममंथन सत्यता के पथ का संज्ञान प्रकाश है ,
प्रतिशोध अन्तस -अनल उत्सर्जित संहाकर
नकारात्मक ऊर्जा है ,
आतंक द्वेष एवं घृणा की विकृत
मानसिकता का स्वरूप है ,
संवेदना , समभाव ,सद्-भाव एवं मानव मूल्यों का
प्रतीक मानवता है ,
सृष्टि की रचयिता एवं ब्रह्मांड संचालक
अलौकिक ऊर्जावान शक्ति ईश्वर नामित है ।
@लेखक : श्यामसुंदर सुब्रमण्यन्