मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
यू इतनी जल्दी कोई भी सो नही सकता,
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
समय की प्यारे बात निराली ।
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
कह मुकरियां
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
#माँ, मेरी माँ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी