वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
वो जो मुझको रुलाए बैठा है
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम् .... !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
*जो अच्छा-भला जिया जीवन, वह भला सीख क्या पाता है (राधेश्यामी
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
*Each moment again I save*
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
अर्कान - फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र - रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
" नाराज़गी " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिंदगी जीने के दो ही फ़ेसले हैं
..........जिंदगी.........
तेरी मीठी बातों का कायल अकेला मैं ही नहीं,