ईश्वर का लेख नियति से बदल गया
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
सर्द और कोहरा भी सच कहता हैं
यूँ झूटी कहावत का क्या फ़ायदा
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कई बार मेरी भूल भी बड़ा सा ईनाम दे जाती है,
बढ़ी हैं दूरियाँ दिल की भले हम पास बैठे हों।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
इंतज़ार
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का