एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तमाम उम्र अंधेरों ने मुझे अपनी जद में रखा,
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
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गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
The News of Global Nation
खुद के अंदर ही दुनिया की सारी खुशियां छुपी हुई है।।
रतन टाटा जी की बात थी खास
परिवर्तन का मार्ग ही सार्थक होगा, प्रतिशोध में तो ऊर्जा कठोर
जिंदगी में आज भी मोहब्बत का भरम बाकी था ।
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
गुम हो जाते हैं साथ चलने वाले, क़दम भी कुछ ऐसे।