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26 May 2022 · 1 min read

सुहावना मौसम

जब मौसम होती सुहावनी
मन रहता सहृदय हमारा
कोई भी कार्य करने में हमें
प्रचुर मिलता मोद -आह्राद ।

दक्ष मौसम में चलती सुहावनी
पवने इस परिप्रेक्ष्य, धूम्राभ में
मानस करत डूबे रहे समंदर में
पाँक से पृथक न करता मानस ।

इस रज:स्राव में नर – नारी के
संग संग अधिकतर प्राणीवान
रहता सब आमोद – प्रमोद से
दीप्ति रुत लुभाता मानस को।

इस प्रवीण से आबोहवा में
चलती सदा तरावट पवने
ये पवने हर प्राणीवान को
देता आह्लाद जीवन हमें।

दीप्ति ऐसा भी संभव होता
हमेशा रहता यही रज:स्राव
एक -दो न सौ दिन, हमेशा
इस मौसम का दीवाना सब ।

Language: Hindi
1 Like · 632 Views

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