सुहागन रहूं
1. मैं उम्र भर सुहागन रहूं
तेरे नाम का सिंदूर मेरी मांग में सजाती रहूं
तुम्हारे जीवन का अंधियारा दिए कि लौ बनकर मिटाती रहूं
2. मैं नदी और तुम सागर यूंही नदी सागर से मिलती रहे
मेरे नाम की कली तुम्हारी आंखों में यूंही खिलती रहे
तुम्हारी राहों के कांटे फूल बनकर चुनती रहूं
3. तुम्हारी सफलता के सपने हर पल यूं ही बुनती रहूं
तुम्हारी खिदमत में सारी उम्र गुजार देंगे
बस जीवन भर मुझ पर भरोसा रखना
और मेरे घर को मंदिर बनाए रखना
Mangla kewat _hoshangabad (mp )