सुहागनों का व्रत करवाचौथ
सुहागनों का व्रत करवाचौथ
ऐ विधू तुम जल्दी आओ ना..
मेरे तो सोलह श्रृंगार सब तुझसे साजन
जीवन मे प्रेम का प्रकाश तुझसे साजन
मेरे जीवन का आधार तुझसे साजन
सातों जन्मों का साथ तुझसे साजन।
ऐ विधू तुम जल्दी आओ ना..
मेरा जीवन पूर्ण तुझसे साजन
मेरा करवा व्रत तुझसे साजन
मेरी जीवन का प्यार तुझसे साजन
घर की खुशियां भी तुझसे साजन।
पौराणिक काल से यह मान्यता चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें। मगर यमराज ने उसकी बात नहीं मानी। इस पर सावित्री अन्न जल त्यागकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। काफी समयि तक सावित्री के हठ को देखकर यमराज को उस पर दया आ गई। यमराज ने उससे वर मांगने को कहा।इस पर सावित्री ने कई बच्चों की मां बनने का वर मांग लिया। सावित्री पतिव्रता नारी था और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी तो यमराज को भी उसके आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवित कर दिया। तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सावित्री का अनुसरण करते हुए निर्जला व्रत करती हैं।
माँ पार्वती से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त करने के लिए सुहागिन महिलाऐं करवा चौथ का व्रत रखतीं हैं और पूजा-अर्चना करतीं हैं। सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत अपने पति की लम्बी आयु और मंगल कामना के लिए रखती हैं।करवा चौथ का यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर आता है।यह दिन सुहागिन औरतों के लिए होता है।इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और उनके सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं।करवा चौथ के दिन महिलाएं उपवास रखतीं हैं और रात्रि के समय चंद्र दर्शन के बाद पूजा करके अपनी पति के हाथ से जल ग्रहण कर उपवास पूरा करतीं हैं।
प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत रखती है। इस वर्ष करवा चौथ व्रत२४अक्टूबर, रविवार को रखा जाएगा। यह सौभाग्यवती स्त्रियों का सुन्दर सुहाग पर्व है। इस व्रत में सास अपनी बहू को सरगी देती है। इस सरगी को लेकर बहुएं अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। यह व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है। सुहागन स्त्रियों इस दिन निर्जला व्रत रखकर, रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। पति की दीर्घायु, यश-कीर्ति और सौभाग्य में वृद्धि के लिए इस व्रत को विशेष फलदायी माना गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ पर्व मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत खास होता है। मान्यतानुसार इस दिन अगर सुहागिन महिलाएं व्रत-उपवास रखें तो उनके पति की आयु लंबी होती है और गृहस्थ जीवन सुखी रहता है। चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत को संपन्न करती हैं। इस व्रत में सायंकाल के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है।
“प्रिय तेरी एक झलक मिल जाए तो
मेरा करवा व्रत सफल हो जाए
दिल मे लिए आस पास की
मैं कर सोलह श्रंगार बैठी राह में
प्रिय आप आओ तो मेरा
करवा का व्रत पूरा कर जाए।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद