सुस्वागतम……*****..
सुस्वागतम हे नववसंतराज
आनंदित है पवन धनराज
वृष्टि के आतुरता का आगाज
सुस्वागतम हे नववसंतराज।।
धरा भी प्रसन्न बड़ी है
व्याकुल तुमसे मिलने खड़ी है
अधर में है प्राणियों के प्राण,
अमन चैन का दो अभय दान ।
पुष्प माल लेकर खड़ी हूं
तेरी ओर अग्रसर बढ़ी हूं
ज्योत अब जुगनू भी जलाए
तुमसे प्रीत की लगन लगाए।।।।
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बिमल रजक
(8002287431)