#सुस्वागतम पतझर का
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★ #सुस्वागतम् पतझर का ★
नयनों से बिछुड़ा काजल
खोए हैं कंत भी
सुस्वागतम् पतझर का
आएगा वसंत भी
नयनों से बिछुड़ा काजल . . . . .
प्रीत सुहागन मतवारी
बिसरी रंगरलियाँ
अनजाने ठौर हिया के
पहचानी गलियाँ
भागावंत के भाग अस्त हैं
रूठा भगवंत भी
सुस्वागतम् पतझर का
आएगा वसंत भी
नयनों से बिछुड़ा काजल . . . . .
वनवास भोगते युवराज चाह के
बंदी महलों में रानियाँ
मनकानन भटक रहीं
अनकही कहानियाँ
रात की गोद में तरुवर रोए
भीगे दिगंत भी
सुस्वागतम् पतझर का
आएगा वसंत भी
नयनों से बिछुड़ा काजल . . . . .
निजधर्म ओढती भूखी प्यासी
अपनों की बांहें
तरसती चरणचुंबन को
घर लौटती राहें
पंचम सुर में विरहवेदना
मीठा हलंत भी
सुस्वागतम् पतझर का
आएगा वसंत भी
नयनों से बिछुड़ा काजल . . . . .
खिलती हंसती आशाकलियाँ
चुनने की वेला
नेहनाव भंवर में
अंतिम खेला
मस्तक साजे लेख लिखाया
आदि भी अंत भी
सुस्वागतम् पतझर का
आएगा वसंत भी
नयनों से बिछुड़ा काजल . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२