सुर और असुर।
आज का इंसान सुर से नही रहना चाहता है। परिवार हो या देश कहीं भी आज सुर दिखाई नही दे रहा है!यह सबसे बड़ी बिडम्बना है।कि समाज भी असुर हों गई है।अब हमारे देश का क्या हाल होगा?अगर हम अभी नही जागे तो बहुत देर हो जायेगी।हम अपनी जिंदगी में क्या कर रहे हैं?जरा अपनी अंतरात्मा से तो पूछ लो।कि जो जिंदगी हम जी रहे हैं।वह वाकई इन्सान की जी रहे हैं!इस धरती पर जब भी धर्म की हानि होती है,तब श्री भगवान मनुष्य के रूप में अवतरित होते हैं।यह सत्य है।भले ही देर कितनी हो जाये । भक्तों की पीड़ा तो हरेगे, और धरती माता का भार उतारेंगे। लेकिन मनुष्य का भी कुछ कर्तव्य बनता है।