सुरा पान पर एक व्यंग्य
क्यो करते हो तुम सुरा की सदा बुराई।
ध्यान से देखो तुम इसमें है कुछ अच्छाई।
इसमें है कुछ अच्छाई,यह झूठ कभी न बोले,
जो पीकर मुख में आए,वही यह बोले।
कह रस्तोगी कविराय,ऐसा होता है क्यों,
सच ही सच रहेगा,तुम झूठ बोलते क्यों।।
सुरा पीकर जब चलाते ट्रक या मोटर कार,
उसकों पीकर छोड़ दो,सौ की तुम रफ्तार।
सौ की तुम रफ्तार,नशे में पुण्य कमाओ,
जो आगे आ जाए,उसको स्वर्ग पहुचाओ।
कह रस्तोगी कविराय,क्यो होते हों बे सुरा,
एक दिन स्वर्ग मिलेगा,जब पियोगे तुम सुरा।।
सुरा के इतिहास पर,तुम करो अनुसंधान,
देव,दनुज,अमीर गरीब,करते इसका पान।
करते इसका पान,कोई इससे न बच पाया,
तीनों लोको न क्या,इसे ब्रह्मांड ने अपनाया।
कह रस्तोगी कविराय,क्यो कहते हो इसे बुरा,
अनेक गुण आ जायेंगे,जब पियोगे तुम सुरा।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम