सुमुखी सवैया
सुमुखी सवैया (जगण×7+ लघु गुरु)
पयोधर पीन दिखा त्रिबली ,हर अंग अनंग जगावति है।
चले गजगामिनि-सी सजनी,कटि केहरि- सी लचकावति है।
न आवति पास लटें झटके ,बस बातनि सों भरमावति है।
कहौं केहि भाँति बिथा अपनी,निंदिया अब रैन न आवति है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय