सुमति
सुमति
बहुत पुरानी बात है। किसी गाँव में एक लड़की रहती थी। नाम था उसका – सुमति। वह बहुत सुंदर तथा बुद्धिमान लड़की थी। जब वह आठ वर्ष की थी, तब उसकी माँ की मौत हो गई। बाद में उसके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली। नई माँ ने आते ही सुमति को सताना शुरू कर दिया। घर के सारे काम कराने के बावजूद उसे ठीक से खाना नहीं देती। खाना माँगने पर वह मारती भी थी।
एक दिन बाद सुमति अपने पिताजी के साथ जंगल लकड़ी बीनने गई। वहाँ पिताजी ने कहा, ‘‘बेटी, तुम यहीं ठहरो। मैं जरा तालाब से पानी पीकर आता हूँ।’’
दोपहर से शाम हो गई, पर पिताजी नहीं आए। तभी उसने देखा, कि एक कबूतर कुछ दूरी पर फड़फड़ा कर गिरा।
वह दौड़कर उसके नजदीक पहुँची। उसे तीर लगा हुआ था। वह सावधानीपूर्वक उसे निकालती है। तभी उस रियासत के राजा और दो सैनिकों ने आकर उसे घेर लिया।
राजा ने कहा, ‘‘कबूतर मेरा है, इसे मुझे दे दो।’’
सुमति बोली, ‘‘क्या यह इसलिए आपका है कि इसे आपने तीर मारा है ?’’
सुमति की बात सुनकर राजा दांग रह गए। राजा ने कहा, “लड़की, तुम्हें पता भी है, मैं इस राज्य का राजा हूँ।
सुमति ने कहा, “तो क्या आपको किसी को भी बेवजह मारने का हक़ है ? क्या बिगाड़ा था इस बेजुबान पंछी ने आपका या आपके राज्य का ?”
राजा सोच में पड़ गए। वे सुमति की बातों से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पूछा कि वह इस घने जंगल में अकेली क्या कर रही है ?
सुमति ने बताया कि वह अपने पिताजी का इंतजार कर रही है।
राजा ने उससे घर के सदस्यों के बारे में पूछा तो सुमति ने सब कुछ सच-सच बता दिया।
उन्हें वास्तविकता समझते देर नहीं लगी। फिर भी राजा ने अपने सैनिकों को उसके पिताजी को खोजने के लिए भेजा।
अंधेरा घिर आया पर जब वह नहीं मिला तो सुमति के बताए अनुसार राजा और उसके सैनिक उसके घर गए। सैनिकों को देखकर देखकर दोनों डर गए। वे राजा के पैरों में गिरकर माफी माँगने लगे।
राजा के सुमति गिड़गिड़ाने लगी, ‘‘महाराज, मेरे माता-पिता को माफ कर दीजिए। उन्हें मत पकड़िए ! मैं अनाथ हो जाऊँगी।’’
राजा सोच में पड़ गए। बोले, ‘‘सैनिकों, इन्हें छोड़ दो और सुमति, आज से तुम यहाँ नहीं, मेरे राजमहल में रहोगी। वहाँ तुम्हारे ही उम्र की हमारी इकलौती बेटी है, उसकी कोई सखी-सहेली नहीं हैं। तुम उसके साथ रहोगी हमारी दूसरी बेटी बनकर।’’
अब सुमति राजमहल में सुख से रहने लगी।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़