सुभाष चंद्र बोस
आसमान का एक तारा,
जो धुव्र तारा बनकर
हमारे इस जमीं पर आया था।
दिशाहीन आजादी की लड़ाई की
उसने एक दिशा दिखाया था।
तुम मुझे खुन दो,
मैं तुम्हे आजादी दूंगा।
इस नारे के संग उन्होनें ,
देश के जन-जन के मन में
आजादी का दीप जलाया था ।
अपने देश भक्ति से उन्होंने
हर एक भारतीय के मन में
अपना छाप बनाया था।
इसीलिए तो देश का हर एक जन,
उन्हें नेताजी नाम से बुलाया था।
करके आजाद हिंद फौज की स्थापना,
हर एक भारतीयों के मन में
आजादी का विश्वास जगाया था।
जय हिंद के नारो के साथ
सबको दिल्ली बुलाया था।
उनका जीवन का हर क्षण,
देश के लिए सर्मपण था
और देश के लोगों से भी ऐसा ही
समर्पण आजादी के लिए मांगा था।
उनके एक आवाज मात्र से सब
अपना खून बहाने को तैयार थे।
मेरा खून ले लो, मेरा खुन ले लो
देश के चारों तरफ से यह शोर मच गया था।
बचपन से ही वे थे मेधावी ।
स्वामी विवेकानंद से वे थे प्रभावित ।
देश भक्ति का जोश उनमें
कूट-कूट कर था भरा हुआ ।
खुन का एक – एक कतरा
उन्होंने देश के नाम था कर दिया ।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड
के कारण थे वे परेशान ।
कैसे भगाएँ अंग्रेजों को
इसका कर रहे थे इंतजाम ।
कई बार जेल गए वो ,
कई बार नजरबंद हुए ,
अंग्रेजों की कई यातना सहे,
पर देश के प्रति उनका प्यार
कभी कम न हुआ ।
पहली बार महात्मा गांधी को
राष्ट्रपिता कहकर संबोधन
उन्होंने ही किया था।
और ऐसा करके उन्होंने
महात्मा गाँधी को सम्मान दिया था।
महिलाओं की शक्ति को भी
सुभाष चंद्र बोस ने पहचाना था,
और देश की आजादी के लिए,
महिलाओ को एकत्र किया था।
उन्होंने महिलाओ को सशक्त करने के लिए ,
रानी झांसी रेजिमेंट का गठन किया था,
और उसका कप्तान लक्ष्मी सहगल को बनाकर
महिलाओ के प्रति अपनी सोच को दर्शाया था।
वे अपने गरम विचार धाराओं से ,
ब्रिटिश हुकुमत को बार-बार
चुनौती दे रहे थे ।
बार -बार देश के लोगों के मन में ,
आजादी के लिए आक्रोश भर रहे थे।
पर अफसोस की वह तारा
ज्यादा दिनों तक,
हमारे साथ न रह पाया था
और एक हवाई दुर्घटना में
मौत ने उन्हें हमसे चुरा लिया था।
वह तारा आसमान में विलीन हो गया।
पर जाते-जाते उन्होंने देश के
जन-जन के मन में,आजादी
का ऐसा लौ जलाया,
जो आजादी लिए बिना समाप्त न हुआ।
~ अनामिका