सुबह
अरुणोदय जब दविज उठकर
चीं – चीं की आहट से उठाती
हम मानुज तब होते है जागृत
प्रभात का नजारा बड़ा निराला ।
सुबह भास्कर से पहले उठके
करने चले हमसब निज कार्य
दिनकर को अस्त होने से पूर्व
हमसब आ जाते अपना धाम ।
सुबह – सुबह प्रबुद्ध कर हमें
घूँटना निज अप्रतिष्ठा भी अंबु
जिससे मेरा चित्त रहता खुश
सुबह का नजरिया अद्वितीय ।
सुबह उठकर जो करता पढ़ाई
उनको मिलता अतिशय ज्ञान
सुबह पढ़ाई करना है अनुपेक्ष्य
भोर पढ़ने के हय कई प्रत्यागम ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार