‘सुबह’
सुबह की पहली किरण तुम्हें जगा रही है,
ठंडी-ठंडी पवन ताज़गी तुम्हें उठा रही है।
उठो, राष्ट्र कार्य के लिए आज फिर तुम,
आवाज दे, मां भारती तुम्हें बुला रही है।।
खूब सिंह ‘विकल’
30/05/2017
सुबह की पहली किरण तुम्हें जगा रही है,
ठंडी-ठंडी पवन ताज़गी तुम्हें उठा रही है।
उठो, राष्ट्र कार्य के लिए आज फिर तुम,
आवाज दे, मां भारती तुम्हें बुला रही है।।
खूब सिंह ‘विकल’
30/05/2017