सुबह हो गई जागो
आवाज़ दे रही है घटाएं
सहला रही है हवाएं
उठो तुम, छोड़ो बिस्तर
बुला रही है फिजाएं।।
वो दूर पूरव की तरफ
लालिमा दिख रही है अपार
अब सूरज की किरणें
धरती को छूने को है बेकरार।।
है अदभुत दृश्य प्रकृति का
नव दिन का है ये आगमन
ताज़ा फूलों की खुशबू से
आज महक रहा है ये चमन।।
उठा रही तुम्हें मुर्गे की बांग
चहचहा रही है गौरैया भी
निकलो घर से बाहर तुम
सैर पर चले गए अब भैया भी।।
ओस की बूंदे है जो हरी घास पर
है अब वो भी लुप्त होने को
हो रहे किसान भी तैयार अब
खेतों में नई फसल बोने को।।
ले लो ताज़गी इस सुबह की
महक चमन के फूलों की
तभी आनंद ले पाओगे तुम
बैठकर जीवन के झूलों की।।
कर रहे सब तैयारी जीतने की
ये ज़िंदगी की नई जंग
गुज़रने से पहले तुम भी भर दो
इस ज़िंदगी में नए रंग।।