सुबह सुबह की सैर
सुबह – सुबह की हवा,
लगती है जैसे हो दवा,
जब तन से टकराती,
मुझको बहुत सुहाती,
नींद आलस्य सब हरती,
मन में ताजगी भरती,
दिन सुहाना बन जाता,
काम में दिल लग पाता,
आओ करें सुबह की सैर,
अब नहीं करें हम देर,
तन रहेगा सदा निरोग,
सीमित होगा फिर भोग,
देखें प्रकृति की सुंदरता,
लालिमा लिए रवि उगता,
पंछियो की सुनो चहचाहट,
शोर नहीं है न कोई आहट,
मन में होती शांति अपार,
सुखद लगता सारा संसार,
—-जेपीएल