सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने पौरुष के देह पर ढुढ़ना एक अनुभूति होती है औरत के समर्पण की, सुरक्षित अभिमान की और यक़ीन की…ये लम्हा गहन पारस्परिक प्रेम और मन के सौंदर्य का प्रतीक होता है….!!
इन्हीं लम्हो को पिरोंता हू मै शब्दो के धागे मे और सबसे ज्यादा नज़्म बनती है प्रेम और स्त्रीमन पर क्योकि नफ़रत और हिंसा के इस दौर मे दुनिया को जरुरत है इन दोनो को समझने की ताकी इस दुनिया मे बची रहे थोड़ी सी दुनिया …!!!