सुबह की बेला मंगलमय हो
पक्षी का कलरव प्राची में सुखद वायु का साथ
मंगल मय जीवन में हो खुशियों की बरसात
नव पल्लव सा खिल उठे भाग्य का पुष्प अनूप
सुखकारी मंगलमय हो ठंडी की यह धूप ।
चमक रहा सूर्य जो पूरब का ले साथ
इच्छित सब पूरे हो चाहो जो हो हाथ।
नव किरणों सा फैल उठे कीर्ति और यशगान
जीवन में हरदम मिले सबसे ही सम्मान ।
डूब गए उडुगन जैसे सूरज के तप देख
दुख का अवसान हो निखरे किस्मत की रेख।
विन्ध्य सी ऊँचाई मिले सूरज सा प्रकाश
उन्नति हो इतनी जीवन में छू लेवे आकाश।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र
नरई चौराहा
9198989831