सुबह की प्याली से उठने वाली
सुबह की प्याली से उठने वाली
साथ पकड़ के सोने वाली
जिनके बातों का नहीं है कोई आधार
कैसे में समझाए यह तेरे संग मेरा सिमटा हुआ संसार.
हमको तेरे बाते यू ही , हल्की हल्की सांसे यू ही
ठण्डी ठण्डी रातों का , हल्की हल्की बारिस मे भीगे भीगे बालो का
उठकर गिरते बच्चो जैसे , सुन्दर सुन्दर कपोल जैसे, ओठों से गिरते हुए शब्दों के प्रकार
कैसे मे समझाए , यह तेरे संग मेरा सिमटा हुआ संसार.