सुबह का समाचार।
सुबह सुबह जब आया अखबार।जब पढ़ा तो, लिखा था शहीद हुआ परिवार।यह पढ़कर,मेरे निकल पड़े अश्रुधार।कब तक? सैनिकों को आंतकवाद की बलि चढ़ाओगे। अभी नही जागे तो,बाद में पछताओगे।क्या गुजरी होगी उस परिवार, पत्नी के दिल पर। इतने बेदर्दी मत बनो,कि कब्जा हो जाये आह पर।गर हम किसी से लड़ नही सकते हैं।तो संबंध ख़त्म तो कर सकते हैं। आंतकवाद के इस बढ़ते कदम को रोकना होगा।पूरी दुनिया को चैलेंज है, इससे निपटना होगा।समय रहते नहीं जागे तो, भयावह मंजर होगा।