सुबह आनेवाली रोशनी की घड़ी है
सब्र कर ये तेरे इम्तिहान की घड़ी है
रात अब इंतज़ार की दो चार घड़ी है
तारिक-ए-रात रोशनाई सी है छायी
सुबह आनेवाली रोशनी की घड़ी है।।
मधुप बैरागी
सब्र कर ये तेरे इम्तिहान की घड़ी है
रात अब इंतज़ार की दो चार घड़ी है
तारिक-ए-रात रोशनाई सी है छायी
सुबह आनेवाली रोशनी की घड़ी है।।
मधुप बैरागी