सुप्रभात
पवन मनचला हो चला,कदली पत्र झकोर।
ज्यों गोपी के वसन को,ले भागे चितचोर।१।
अरुण देश में सगुण-सा,खिल आया जलजात।
कर्मयोग का कृष्ण ने,किया नव सूत्रपात।२।
रक्तिम व्योम-वलक्ष,अरुण-रूप-रस-रंग से।
दुःशासन का वक्ष,सना हुआ ज्यों रक्त से।३।
धूमिल प्राची – देश,छिटपुट सूर्य प्रकाश से।
पाञ्चाली के केश,असित और रक्ताभ ज्यों।४।
सूरज के रज पाकर फूले,सूर्यमुखी के फूल।
मानो मधुसूदन को पाकर,विधि पांडव अनुकूल।५।
सूर्योदय के उपरांत हुआ,तिमिर तोम का नाश।
ज्यों रणक्षेत्र कुरुक्षेत्र में,कौरव मूल विनाश।६।
-सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’