Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2022 · 1 min read

सुप्रभात प्रिये!

शीर्षक – सुप्रभात प्रिये! -३
विधा – गीत

परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. – रघुनाथगढ़, सीकर,राज.
पिन 332027
मो. 9001321438

सुप्रभात प्रिये!
क्यों जायें मधुशाला पीने हाला
छलक रहे चषक दो नयन प्रिये!
मधुर हाला का क्या काम यहाँ
जब डूबा रस प्रेम हाला प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!

मधुर हाला छलकाती जाना
इन मतवाली आँखों से प्रिये!
सुन! भरी पड़ी है मधुर हाला
इन आँखों की प्याली में प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!

इन फिरोजी अधरों से तुम
छू लेना नित्य साँसों को प्रिये!
छा जायेगी मस्त मदहोशी
जीवन में तान निराली प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!

तेरे नयनों की मस्ती में डूबा
मेरा पूरा जीवन-संसार प्रिये!
खोल पलक तू फैले आभा
जीवनसंगिनी! तू जाग प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!

Language: Hindi
Tag: गीत
275 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"कैफियत"
Dr. Kishan tandon kranti
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
Sahil Ahmad
तेरी याद
तेरी याद
SURYA PRAKASH SHARMA
मन की बुलंद
मन की बुलंद
Anamika Tiwari 'annpurna '
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
मेरी सोच (गजल )
मेरी सोच (गजल )
umesh mehra
How do you want to be loved?
How do you want to be loved?
पूर्वार्थ
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
Deepesh purohit
मेरी-तेरी पाती
मेरी-तेरी पाती
Ravi Ghayal
उस रात .....
उस रात .....
sushil sarna
-दीवाली मनाएंगे
-दीवाली मनाएंगे
Seema gupta,Alwar
*** चल अकेला.....!!! ***
*** चल अकेला.....!!! ***
VEDANTA PATEL
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
AJAY AMITABH SUMAN
अच्छा लगने लगा है उसे
अच्छा लगने लगा है उसे
Vijay Nayak
कर्म कभी माफ नहीं करता
कर्म कभी माफ नहीं करता
नूरफातिमा खातून नूरी
राम काज में निरत निरंतर
राम काज में निरत निरंतर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*जरा सोचो तो जादू की तरह होती हैं बरसातें (मुक्तक) *
*जरा सोचो तो जादू की तरह होती हैं बरसातें (मुक्तक) *
Ravi Prakash
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे संग मैंने
तेरे संग मैंने
लक्ष्मी सिंह
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
हिमांशु Kulshrestha
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मकड़जाल से धर्म के,
मकड़जाल से धर्म के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जीवन है मेरा
जीवन है मेरा
Dr fauzia Naseem shad
आंबेडकर न होते तो...
आंबेडकर न होते तो...
Shekhar Chandra Mitra
नया साल
नया साल
Arvina
3122.*पूर्णिका*
3122.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख्वाबों में मेरे इस तरह न आया करो
ख्वाबों में मेरे इस तरह न आया करो
Ram Krishan Rastogi
अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह
अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह
कवि रमेशराज
चुनना किसी एक को
चुनना किसी एक को
Mangilal 713
Loading...