सुप्रभात प्रिये!
शीर्षक – सुप्रभात प्रिये!
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. – रघुनाथगढ़, सीकर,राज.
पिन 332027
मो. 9001321438
सुप्रभात प्रिये!
नभ में उतरी उषा नागरी
ले तेरे वदन की मुस्कान प्रिये!
कनक लता-सी कृशकाय
छिपती लज्जाती तेरी ओट प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!
चक्षुपट बंद हो तेरे तो बावली!
हो जाती घोर अंध रात प्रिये!
मिट जाती है व्यथा जगत की
तेरी गीली-सी मुस्कान प्रिये!
सु्प्रभात प्रिये!
उतरेगी लाली शून्य शिखर से
ले तेरे दृगों का आधार प्रिये!
पड़ी है सुप्त संसृति सम्पूर्ण
भोली छवि-कवि तू जाग प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!