*सुप्रभात की सुगंध*
सुप्रभात से ही सुविचार करो।
सुमन सुगंध से मन को भी सुगंधित करो।
योग्य से सुयोग्य बनो।
सुसंयोग से सुसंगत बनो।
सुकृति से सुकर्म करो और सुचरित्र बनो।
सुबुद्धि से सुयश बनो।
सुकंठ से सुवाणी बोलो।
हर पल सचेत रहो।
देश के लिए सुयोधन बनो।
सुयोजन से सुरक्षित रहो।
सुशासन से सुव्यवस्था करो।
सुसंस्कृति से संस्कारी बनो।
जि. विजय कुमार
हैदराबाद, तेलंगाना