सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।/लवकुश यादव “अजल”
हर किसी के वादे पे अब एतबार न होगा,
मुश्किल बड़ी है यहां सूनी डगर पड़ी है।
हर दिल अजीज अब खुशमिजाज न होगा,
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।।
नींद आधी अधूरी लिए कब तक मैं जियूं,
हाल ए दिल की मुश्किल अब किससे कहूं।
ऐसे लिखे हैं शब्द कि अब इजहार न होगा,
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।।
रूठा है चांद मेरा किसी काले बादल तले,
मिल सकूं उसी प्रेम से मैं फिर से तुम्हें।
इलाहाबाद के जैसा यहां खुसरो बाग न होगा,
हर दिल अजीज अब खुशमिजाज न होगा।।
लहू बनकर जो बहे मोतियों की कसम है,
ये दिल अब किसी का गुनहगार न होगा।
अब इस दिल को किसी का इंतजार न होगा,
अजल का दिल अब किसी के लिए बेकरार न होगा।।
लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश