सुन लो प्रभु जी….
दुर्मिल सवैया छंद
32 मात्राएँ, 24 वर्ण व आठ सगण 112
सुन लो प्रभुजी दुखते मन की, कर जोड़ करूँ विनती तुम से
भव ताप हरो अघ भार हरो, मन पीर गुनो उपकार करो
किस कारण से जग में तुमने, तन देकर भेज दिया मुझको
तन-त्राण मिले भटके मन को, कुछ तो प्रभुजी उपचार करो
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद