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29 Jan 2019 · 2 min read

सुन ले मूरख

भारत वीरों के गर्जन सम्मुख,
सिंह दहाड़ भी फीकी है
ओ मूर्ख पड़ोसी तूने क्या यह
तुच्छ बात भी नहीं सीखी है।

ओछी हरकत छोड़ अधम तू
वरना तू पछताएगा
शेर के मुंह में हाथ डाल क्या
तू जीवित बच पाएगा।

सीमा अब है धैर्य की टूटी
परीक्षा की तेरी आई घड़ी
अब तू अपना ढूंढ आसरा
सिर पर तेरे मृत्यु खड़ी।

साहस न कर महामूर्ख तू
अब हमसे टकराने का
वरना उल्टी गिनती गिन ले
समय तेरा मिट जाने का।

हर सैनिक में राणा बसते
हर बांकुरा शिवाजी है
तेरी गल्ती से हर भारतीय
के दिल में नाराज़ी है।

यदि तुझे है आज भी अपने
बचे-खुचे अस्तित्व से प्यार
खैर तेरी इस में है बच्चू
चुप्पी से समेट ले घर-बार।

सरहद पर मोर्टार गिराना
ग्रेनेडों से हमला करना
सीमावर्ती निर्दोषों को
लगातार आतंकित करना।

तू ये छुटभैया हरकतें
रख ले खुद के गिरेबां में
वरना तू मुंह दिखाने भर के
लायक न रहेगा दुनिया में।

भारतवासी मूर्ख नहीं
माना सच्चे हैं भोले हैं
भलों के संग हम शीतल जल
तेरे लिए बम के गोले हैं।

हम से ही उत्पन्न हुआ तू
हम को आँख दिखाएगा
यदि हम अपनी पर आ जाएं
तू दुनिया से मिट जाएगा।

पहले भी तो कई बार
तूने मुंह की ही खाई है
क्यूँ तू शहर को दौड़ा
गीदड़ क्या तुझे मौत आई है।

भारत की करुणा से निर्मित
उसके टुकड़ों पर पला-बढ़ा
उसकी ओर आँख उठाने की
क्यों हिम्मत करने तू चला।

बाजे आ अपनी हरकतों से
यदि रहना चाहता तू ज़िन्दा
वरना भारत माँ की जय बोलेगा
तेरे वतन का इक-इक बन्दा।

वह दिन भी अब दूर नहीं
तू खून के आँसू रोएगा
और भारत माता के चरणों को
निज अश्रुओं से धोएगा।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
437 Views
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