सुन रहा था सब कुछ मै भी ————- !!!
निकल चुके थे प्राण,पहुंची काया थी श्मशान।
इकट्ठे होने लगे इंसान,सबके अपने अपने बखान।
सुन रहा था सब कुछ मैं भी,समझ न आया भगवान ।।(टेर)
जब तक था वह जीव रूप में,
कहा न उसका माना।
मृत काया को देख सामने,
कहने आया जमाना।।
बड़ा भला था,बुरा हुवा यह,
आंसू थोथे, नयनों से नीर बहाना।
जीते जी तो ठुकराया,तरसाया।
बता बता ओ अंतर्यामी,ऐसा कैसा तेरा जहान।।
सुन रहा था —————————!
मौत सभी को आनी है,
कौन नहीं यह जानता।
करे दिखावा, झूंटा पश्तावा,
सच को क्यों नहीं मानता।।
जियो जियो रे ऐसे जियो,
करो न किसी का अपमान।
मौत बाद तो कोरी काया
चाहे लाख करो गुणगान।।
सच्चाई यही अनुनय,हम सब माने इंसान।
सुन रहा था ———————–!
राजेश व्यास अनुनय