सुन चंद अब तू कभी मत होना उदास
सुन चाँद तू आज अब मत होना कभी उदास
सूरज से लडवाने को जुगनुओं को लाया खास
बहुत जुल्म सहा है तूने उस घमण्डी सूरज का
अब कभी नहीं पीना पड़ेगा तुझको ये कड़वास
कहाँ कैसा मित्र बनाया तूने जो जलता रहता है
मारता थपेडे लू के आने नहीं देता कभी वो पास
कोई और दोस्त होता तो हमराज होता तेरा भी
इसको तो आईना दिखाने की भी नहीं कोई आस
कल हंसकर मईया बोल रही थी की तू शीतल रह
क्यों जलता दूनियाँ से ठंडे होने का तो कर प्रयास
जड़ से चेतना में आ आसमाँ पर रोज चढ़ने वाले
क्यों नहीं तुझे लोगों के दुःख दर्द का ज़रा एहसास
ऐसी गर्मी से तो खुद भी अकेला रह जाएगा तू यार
जीवन जिंदादिली से जी ले कमी तुझमे भी पचास
अशोक सूरज को चला क्यों तू रस्ता बताने आज
क्यों सुनेगा वो तेरी अंधेरों से लड़ने की ये बकवास
अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से
9968237538