सुन आहट
सुन आहट ठिठक मत , जिन्दगी तू निरन्तर चल ।
देख न पीछे मुड कर, जिन्दगी तू सतत आगे बढ़ ।।
विकास का रथ थमा , फिर भी करे शौर्य बयानी ।
दिन – रात जो रत है , जिन्दगी देख उनकी जवानी ।
बात बस थोड़े दिन की , जिन्दगी मत तू मलाल कर ।
लाँक डाउन में बाधक , उठ और उनको हलाल कर ।
शाम तेरी भी आयेगी , जिन्दगी तू सज , संवर कर रह ।
सुन आहट ठिठक मत , जिन्दगी तू निरन्तर चल ।
देख न पीछे मुड कर, जिन्दगी तू सतत आगे बढ़ ।।
तुच्छ भी सशक्त कितना , जिन्दगी एक नई सीख ले ।
आत्मगौरव बनाए रख , नहीं किसी से तू भीख ले ।
भारत भूमि पर जन्मी , स्वर्णमयी अक्षय है संस्कृति ।
तूने केवल देना सीखा, ग्लोबल पर इसलिए यशकीर्ति ।
सम्बल राम का तुझको ,जिन्दगी टेक उसकी लेकर चल ।
सुन आहट ठिठक मत , जिन्दगी तू निरन्तर चल ।
देख न पीछे मुड कर, जिन्दगी तू सतत आगे बढ़ ।।